Monday, April 13, 2020

肺炎疫情:我这辈子至少经历了三次流感病毒大流行

新冠肺炎病毒来袭,麦克·莫斯利(Michael Mosley)医生心里是害怕的唐宁街说,色情性&肛交集合因感染新冠病毒住院色情性&肛交集合并重症监护的色情性&肛交集合首相约翰逊当色情性&肛交集合地时间12日中午出院。色情性&肛交集合
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莫斯利是BBC电视二频道《听我的,我是医生》节目主持人,自己有执业医生资格。更有意思的是,他从出生开始, 至少三次处于世界流感大爆发疫情中心。他认为唐宁街说,色情性&肛交集合因感染新冠病毒住院色情性&肛交集合并重症监护的色情性&肛交集合首相约翰逊当色情性&肛交集合地时间12日中午出院。色情性&肛交集合
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下面是他的几次遭遇疫情的故事。禽流感和萨斯疫情爆发时他不在疫情中心。
2013年12月,麦克·莫斯利(Michael Mosley)从自己胳膊上抽了一管血,交给伦敦帝国理工大学的史蒂汶·莱利博士唐宁街说,色情性&肛交集合因感染新冠病毒住院色情性&肛交集合并重症监护的色情性&肛交集合首相约翰逊当色情性&肛交集合地时间12日中午出院。色情性&肛交集合
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把莫斯利的血样送到那里,是为了检测他的血液中是否含有针对一种病毒的抗体。如果从数据库里找到了对应的病毒,就说明唐宁街说,色情性&肛交集合因感染新冠病毒住院色情性&肛交集合并重症监护的色情性&肛交集合首相约翰逊当色情性&肛交集合地时间12日中午出院。色情性&肛交集合
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他是第一个参与这种血液分析的英国人。那一管血样引出了一段不同寻常的经历唐宁街说,色情性&肛交集合因感染新冠病毒住院色情性&肛交集合并重症监护的色情性&肛交集合首相约翰逊当色情性&肛交集合地时间12日中午出院。色情性&肛交集合
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Tuesday, January 7, 2020

वो क्रिप्टोक्वीन, जिसने दुनिया को लूटा और फ़रार हो गई

समय लेकर पोर्टफोलियो दिए हैं. साथ ही पार्टी नेतृत्व का यही फ़ैसला है तो विधायक इसमें ज़्यादा कुछ नहीं कर सकते. ''

''हां, ये ज़रूर है कि बीजेपी इस विरोध का फायदा उठा सकती है. विधायकों को पार्टी से तोड़ने की कोशिश कर सकती है लेकिन विधायक ये भी जानते हैं कि तीन दल एकसाथ हैं तो क्या वो बीजेपी में रहकर अगले चुनाव में तीनों दलों के उम्मीदवार से जीत सकते हैं. फिर शिवसेना को बीजेपी के साथ भी बहुत ज़्यादा महत्वपूर्ण मंत्रालय नहीं मिले थे तो ऐसे में विधायक के टूटने की संभावना कम है.''

महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में तीन पार्टियों के मंत्री खुलकर नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं.

महाराष्ट्र मे जबसे मंत्रिमंडल का गठन हुआ है तब से लेकर आज तक शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेताओं की नाराज़गी बार-बार उभरकर सामने आ रही है.

तीन-तीन पार्टियों के बीच सबसे ज़्यादा नाराज़गी शिवसेना मे दिखाई दे रही है. शिवसेना के कुछ नेताओं ने खुलेआम अपनी नाराज़गी जाहिर की है.

शिवसेना मे जिन नेताओं को मंत्रीपद नहीं मिला है वो तो नाराज़ हैं हीं लेकिन जिन्हें मंत्री पद मिल चुका है वह भी पोर्टफोलिओ को लेकर खुश नहीं हैं.

इनमें सबसे अहम नाम है अब्दुल सत्तार का. अब्दुल सत्तार मूलतः कांग्रेस के नेता हैं और चुनाव से कुछ दिन पहले कांग्रेस छोड़कर शिवसेना मे आ गये थे. वो मराठवाड़ा के औरंगाबाद जिले से आते है.

मंत्रिमंडल में उन्हें राज्य मंत्री का पद दिया गया लेकिन इसके बावजूद अब्दुल सत्तार के नाराज़ होने की ख़बर सामने आईं. जब पोर्टफोलियो बांटे गए तब अब्दुल सत्तार को महत्वपूर्ण माना जाने वाला राजस्व मंत्रालय दिया गया. जिससे अब यह माना जा रहा है कि अब्दुल सत्तार शायद नाराज़ नहीं रहेंगे.

शिवसेना ने इस बार मंत्रिमंडल में रामदास कदम, दिवाकर रावते और दीपक सावंत इन नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया है. इनमें से दीपक सावंत ने खुलेआम अपनी नाराज़गी जाहिर की है. वहीं, रामदास कदम ने निजी तौर पर अपनी नाराज़गी जताई है.

ये तीनों नेता विधान परिषद के सदस्य हैं और इस बार शिवसेना ने विधान परिषद से कम नेताओं को मंत्रिमंडल में लिया है.

इनकी बजाए शिवसेना ने मुंबई और कोंकण के नेताओं के बजाय महाराष्ट्र के बाकी हिस्सों को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व दिया है.

देवेंद्र फडणवीस सरकार में शिवसेना की तरफ़ से मंत्री रह चुके तानाजी सावंत को भी मंत्रिमंडल में जगह न मिलने के कारण वो नाराज़ चल रहे हैं.

चुनाव से कुछ दिन पहले एनसीपी से शिवसेना में आने वाले कोंकण के बड़े नेता भास्कर जाधव भी मंत्री पद न मिलने से नाख़ुश हैं. उन्होंने भी अपनी नाराज़गी जताई है.

बताया जा रहा है कि शिवसेना नेता संजय राउत अपने भाई सुनील राउत के लिए मंत्री पद चाहते थे. लेकिन, सुनील रावत को मंत्री पद न मिलने से संजय राउत के भी नाराज. होने की चर्चा है.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे इन सब नेताओं की नाराज़गी दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन, अब भी नेता खुश नहीं दिख रहे हैं.

शिवसेना ही नहीं कांग्रेस में भी नाराज़गी सामने आई हैं. पुणे जिले से संग्राम थोपते को मंत्री पद न मिलने के कारण उनके समर्थकों ने पुणे के कांग्रेस ऑफिस की जमकर तोड़फोड़ की.

हालांकि, संग्राम थोपते ने कहा है तोड़फोड़ करने वालों में उनके कार्यकर्ता शामिल नहीं थे. सुशील कुमार शिंदे की बेटी प्रणीति शिंदे को मंत्री पद न मिलने के कारण उनके समर्थकों ने भी अपनी गुस्सा दिखाया है.

एनसीपी के पूर्व मंत्री प्रकाश सोलंकी मंत्री पद न मिलने के कारण विधायक पद से इस्तीफ़ा देने निकले थे लेकिन, अजित पवार ने उन्हें किसी तरह मना लिया.

तीन पार्टियों के लिए नाराज़ नेताओं को मनाना सरकार चलाने में एक बड़ी चुनौती बन सकती है.

मंत्री पद सीमित हैं और तीन पार्टियों के विधायक ज़्यादा. इस कारण तीन पार्टियों में कम नेताओं को मंत्री पद मिला है. यही वजह है कि नाराज नेताओं की संख्या भी इस बार ज़्यादा है.

नाराज़ नेताओं को संतुष्ट करके सरकार में शामिल करने के लिए तीन पार्टियों के सामने ये विकल्प है कि उन्हें अलग-अलग सरकारी कॉरपोरेशन दिए जाएं.

हालांकि, कॉरपोरेशन में भी तीनों पार्टियों के बढ़ने के कारण उसमें भी कुछ नाराजगी हो सकती है.

इस पर वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार सुजाता आनंदन का कहना है कि इस तरह का विरोध हर सरकार के बनने पर होता है.

सुजाता आनंदन कहती हैं, ''विधायकों की इस नाराज़गी का सरकार पर ख़ास असर नहीं पड़ेगा. जब भी किसी नई सरकार में मंत्री पद दिये जाते हैं तो ऐसी नाराज़गी देखने को मिलती ही है. ये दबाव बनाने का एक तरीक़ा होता है. तीनों दलों ने बहुत सोच समझकर और